सफलता

उत्तरोत्तर       सफलता      हमारी,
कभी   नैराश्य    नहीं    होने  देती,
औ    विघ्न    -    बाधा       कभी,
सम्मुख      आने      नहीं      देती,
सम्मुख       आने      नहीं     देती,
है   सुखी  - आनंदित रहता जीवन,
कहते  'कमलाकर' हैं  सफलता से,
है    प्रफुल्लित   रहता   तन-मन।।
      
कवि कमलाकर त्रिपाठी.


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