परोपकार


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सादगी से बढ़कर कोई श्रृंगार नहीं होता 
दूसरों की सेवा से बढ़कर कोई परोपकार नहीं होता 


इंसानियत का धर्म सदा निभाओ
परोपकार का भाव दिल में लाओ


मानवता का यही है सार
दिल बड़ा जो करे उपकार


मानुष जीवन पाकर मन में सदा रखो अनमोल धन
परोपकार से ही बनता है सुंदर सुखमय सफल जीवन


आज और अभी जीवन की नई परिभाषा सीखो 
वृक्ष, नदी और बादल से परोपकार की भाषा सीखो


ईर्ष्या, लोभ, मोह , क्रोध का सदा जीवन में त्याग हो 
तर जाता है मानव जीवन जब निस्वार्थ परोपकार का भाव हो


@अतुल पाठक
जनपद हाथरस
 (उत्तर प्रदेश)


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