नारी शक्ति

 



वो जो है जैसी है, बस खुश रहना जानती है
अपनी ख्वाहिशों को खुद पूरा करना जानती है
क्यों रहे किसी पर आश्रित, 
जब वो अपने पैरों पर चलना जानती है।


काबिल बनाया है माँ बाप ने उसे
आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया है उसे
अपने हक के लिए वो लड़ना जानती है
वो अपने पैरों पर चलना जानती है।


दोहरे चेहरों को पहचान है उसे
सही और गलत का अनुमान है उसे
वो हर मायने में अपनी सीमायें पहचानती है
वो अपने पैरों पर चलना जानती है।


लोगों के इरादों का भान है उसे
मुश्किलों से सामना करने का ज्ञान है उसे
परवरिश में मिली नसीहत को भलीभांति मानती है
वो अपने पैरों पर चलना जानती है।


इतनी कमजोर नहीं कि कोई मिटा दे उसे
मिट्टी की गुड़िया नही कि कोई जर्रा बना दे उसे
मनोबल पर विश्वास करना जानती है
वो अपने पैरों पर चलना जानती है।


 प्रीती सिंह
आगरा, उत्तरप्रदेश


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