मन में कपट भरल बा

 



आपन बताके लोगवा,  चाहे करीब रहे,
जेकरा के कहे आपन, चाहे गरीब रहे।
मन में कपट भरल बा, ऊपर से हँस के बोले,
चाहे हमेशा दुःख में,    लसरात रहे ,मरे।।


ओकर स्वभाव अइसन, चाहे ना केहू हँसो,
अंदर से एतना काला, चाहे कि लोग फँसो।
देखे में जेतना सीधा,  अंदर से ओतने टेढ़ा,
चाहे कि लागो फंदा, मौका मिले कि कसो।।


 अखिलेश्वर मिश्रा


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