मैं भी श्यामल हो गई

 



आलिंगन कर श्यामा के संग,,
मैं भी श्यामल हो गई.!
श्याम सुंदर का साथ मिला तो,,
सुख सपनो में खो गई.!
***
ऐसे अंग लगा लो कान्हां,,
भूलूँ मैं इस जग को.!
आप ही आप रहो बस मनमें,,
छोड़ दूँ सब बंधन को.!
***
सुध-बुध खोई श्याम की सुधि में,,
आप ही श्याम हो दिखते.!
श्याम पिया के आलिंगन से,,
जग के नाते सारे फीके.!
**
आन बसे हो तन-मन में जब,,
अपने संग ले जाओ..!
जैसे सिर पर मोर पंख है,,
कान्हां अपने अंग लगाओ..!
**
स्वरचित अर्चना भूषण त्रिपाठी,"भावुक"


@नवी मुंबई मूलनिवासी ( प्रयागराज)


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
ठाकुर  की रखैल
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं अनिल कुमार दुबे "अंशु"
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं यमुनानगर हरियाणा से कवियत्री सीमा कौशल
Image