हम अपने भी कहाँ हुए
हम भी तुम्हारे सहारे हैं
तुम ही बताओ ना हमें
क्यों दूर ये किनारे है ??
बीच मझधार मे तुमने हमे
किनारो का सहारा दिया
थामकर मेरा हाथ तुमने हमें
मुझे अपना सहारा दिया
साँसे लेता हूँ तो कहती हैं मुझसे
मै भी तेरे बीना तन्हा सी हूँ
तू कहाँ खोया किस जहाँ मे गुम
मै तेरे बीना कहाँ पुरी सी हूँ
रुह मेरी ही मुझसे ऐ!काफ़िर
पूछती ??
की तुम कहां हो, तुम कहां हो ?
बस हर श्वास तुम्हारे सहारे हैं
बताओ ना ??
तुम कहाँ हो तुम कहाँ हो ??
आयी सावन की मद मस्त
बहारे मौसम का
तुम नही तो फिर क्या कहूँ ?
फिजाऐं बे-मौसम सा
मै बारीश मे भीगू तो सुनो_
तुम्हारी याद आती है
बेचैन सी साँसे मेरी
तुमको बुलाती है
बताओ ना_
तुम कहाँ हो तुम कहाँ हो ??
मनोरमा सिंह