खांसी खुर्रा की जिंदगानी क्या

 



आओ गुनगुना ले गीत के पटल पर विश्व तंबाकू निषेध दिवस के उपलक्ष में तंबाकू विरोधी" जागृति कवि सम्मेलन "का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता जाने-माने गीतकार डॉक्टर जय सिंह आर्य ने की। मुख्य अतिथि थी जानी-मानी समाज चिंतक -कवियत्री निवेदिता चक्रवर्ती। सान्निध्य रहा गीतकार पवन कुमार "पवन" का।
विशिष्ट अतिथि के रुप में डॉक्टर सविता चड्ढा ,विनय विक्रम सिंह  मंच पर उपस्थित थे। संचालन युवा कवयित्री डॉ सीमा विजयवर्गीय ने किया।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ मेरठ से पधारी गीतकार सुषमा सवेरा द्दारा गाई सरस्वती वंदना से हुआ।


अध्यक्ष डॉ जयसिंह आर्य ने तंबाकू के विरोध में अपने दोहे अपनी चौपाई और मुक्तको से सबको  आंदोलित किया उनका एक मुक्तक देखें:-


जो धुएं में जली जवानी क्या
इस नशे की भी कुछ कहानी क्या
पीके ,सीगरेट क्यों फूंकता दिल को
खांसी खुर्रा की जिंदगानी क्या


गुरूग्राम से पधारी कवियत्री निवेदिता चक्रवर्ती ने नशे पर अपनी बात यूं कही:-


मैंने खोए हैं जीवन में कुछ लोग।
जो करते थे सदा तंबाकू का भोग।
जो न करते तो आज ही रहते।
बिछोह हम उनका यूं न सहते।
इस विष को छोड़कर जिओ अपनों के लिए।
खुद के लिए न सही अपनों के सपनों के लिए।


सानिध्य कर्ता शामली से पधारे गीतकार पवन कुमार "पवन " की इन पंक्तियों ने बड़ा झकझोरा:-


जो व्यसन बड़े जहरीले लोग उनको पाल रहे हैं।
अच्छे खासे जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।


विशिष्ट अतिथि डॉक्टर सविता चड्ढा की पीड़ा नशे पर इस प्रकार थी:-


मेरे पिता की बीड़ी की राख कुछ गर्म थी।
जिसने एक बार झुलसा दिया था मेरे बेटे का हाथ।


नोएडा से पधारे गीतकार विनय विक्रम सिंह ने नशे पर अपने दोहे द्दारा कुछ इस प्रकार से अपनी बात कही:-


लत शराब, सिगरेट की देह गलाती मित्र।


फिर भी इसे खरीदते  व्यसनी बड़े विचित्र।


अलवर से पधारी डॉ सीमा विजयवर्गीय जहां संचालन में अपना कमाल दिखाया वहीं उन्होंने अपने इस गीत से जनमानस को आंदोलित किया:


सुन ले मेरी बात यही तो है सच्चाई।


नशा छोड़ दे भाई ये है बड़ी बुराई।


दिल्ली के कवि मनोज मिश्र कप्तान ने अपने दोहे में नशे के विरुद्ध कुछ यह कहा:-


लत में सब दौलत गई, घर तक मटिया मेट
तन छूटे, छूटे नहीं तंबाकू ,सिगरेट


करनाल से पधारे युवा कवि भारत भूषण का कहना था:-


तंबाकू खा पी रहे समझे अपनी शान
भूषण ऐसे आदमी अल्पायु मेहमान


इंदौर से पधारे कविवर संतोष त्रिपाठी  अपने दोहे में कहा:



मैंने जो की आज तक, तुम मत करना भूल।
नशा बिगाड़े जिंदगी नशा नाश का मूल।।


पानीपत से पधारी कवियत्री आराधना सिंह अनु ने कुछ यूं कहा:-


जिंदगी को बंदगी से जोड़ दो।
अपने मन को हर व्यसन से मोड़ दो।


पटना से पधारी डॉ पंकज  वासिनी ने आम जन को चेताते हुए कहा :-


बीड़ी ,सिगरेट, गुटका ,सुरती का जितना जल्दी हो सके करो त्याग।
तन को झीना करता यह प्रतिपल धन और हर्ष में भी लगाता आग।


हाथरस से पधारे गाफिल स्वामी ने अपने दोहों से शमा बांध दिया।


गुरुग्राम से पधारे कविवर नरेंद्र शर्मा खामोश की रचनाओं ने सभी को झकझोर कर रख दिया।


मेरठ से पधारे कविवर चंद्रशेखर मयूर  व कवियत्री सुषमा सवेरा ने नशा विरोधी कविताओं से जनमानस को आंदोलित किया।


दिल्ली के कवि डॉ विनोद शंकर पांडे शशिकांत चौधरी ने भी नशे पर अपने व्यंग बाण कविता के माध्यम से छोड़े।
 अंत में संयोजक डॉ सुरेश यादव जख्मी ने कार्यक्रम की सफलता पर सभी का आभार व्यक्त किया।


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