कविता

मनोजगत में  है   विचरण   करता,
कवि   रहता    निर्द्वंद्व   -  स्वच्छंद,
है अनुभव के आधार पर  लिखता,
औ कविता का लेता   रस - आनंद,
औ कविता का  लेता  रस - आनंद,
है   कविहिय   की   उद्गार  कविता,
कहते   'कमलाकर'   हैं   कवि की,
है तुष्टि-पुष्टि,  रस - रंजन कविता।।
      
कवि कमलाकर त्रिपाठी.


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