हे कान्हाँ मेरे श्याम!!


हमको मंजूर हैं खामोशियाँ आपकी,
इक नजर देख लूँ बस"चले आइये"।
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दिन तो कटता नहीं रात बाकी अभी,
इक झलक देख लूँ बस "चले आइये"
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तार जब दिल से दिल के मिला ही लिये,
दिल में सरगम सजाने"चले आइये"।
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दिल का रिश्ता तो मिलता नसीबों से ही,
घुट रहीं हूँ मैं तन्हाँ "चले आइये"।
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चहचहाने लगेगी मेरी जिंदगी,
अपनी मुस्कान लेकर,"चले आइये"।
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गीत सज जाएगा मेरे होंठो पे भी,
बाँसुरी धुन सुनाने"चले आइये।
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         स्वरचित


अर्चना भूषण त्रिपाठी "भावुक"


नवी मुम्बई  मूल निवासी (प्रयागराज) 


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