हरे हरे यहां खट्टे मीठे सुन्दर रसीले आम हैं,
गांव मे ही आकर के देखो बहुत सारे काम हैं।
भरी दोपहरी चटक धूप मे हवा चले पुरवाई,
थक कर बैठे हुए आदमी पकडे आम की छाईं।
तेजोमय है सूर्य निकलता खुशी भरी वो शाम है,
गांव मे ही आकर के देखो बहुत सारे काम हैं।।
घर पक्के आराम ना दें तो फिर बैठो जाय मढैया,
मन्दिर बगिया छप्पर वाले घर देखो ताल तलैया।
पूरा गांव टहलकर देखो लगेगा यही चारो धाम हैं,
गांव में ही आकर के देखो बहुत सारे काम हैं।।
कवि अमित चौहान
पीलीभीत