चलना ही जिन्दगी हैँ

 



जीवन चलने का  नाम है
 जो ठहर जाये वो जिंदगी कहा। 
गम मुश्किले,तनाव,,,ठहराव 
ये सब तो मौसमो की तरह आते है।
और गुजर जाते है।
पर जिंदगी चलती रहती है। 
कभी रफ्ता रफ्ता तो कभी सरपट भागती हुई। 
रिस्तो में घुला प्यार और गर्माहट ही
 जीवन की संजीवनी है। 
अपनेपन का अमृत जीवन को 
अर्थवान बनाता है।
और हममे भर देता है
 जिंदगी को भरपूर जीने का जज्बा।


लब पे आती है दुआ


अपनी जड़ो से.... दूर न हो


आसमान छोटा सा  तो..…. हों


खुद में..... तलाश ले ईश्वर


थोडा सा वक्त हो अपनों के लिए


एक निगाह,,,,,,सतत जागरूक और चौकनी


कागज के फूल.... खुशबू  कहा से लायेगे


जिंदगी.... बदलती रहे पल पल


हेमा पाण्डेय


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