सिंह हम दहाड़ कर!
शत्रु को पछाड़ कर!!
सबक देंगे जग को
झंडा अपना गाड़ कर!!
कर उठे जो सिंहनाद!
अरि न होगा आबाद!!
राष्ट्र हवन कुंड में
आहुति का आह्लाद!!
करके वज्र हुंकार!
शत्रु को चीर - फाड़!!
कर भस्म समर में
पहनेंगे विजयहार!!
राष्ट्र कोई मेष नहीं!
तुम सिंह-वेश नहीं
जो लो दबोच अंक में
हिंद कोई दरवेश नहीं!!
अरि के हर घात का
सौ सौ प्रतिघात का
देंगे मुँहतोड़ जवाब
हर विश्वासघात का!
हम नहीं हैं डरने वाले!
मातृभूमि पर मरने वाले!!
पग तले कुचलकर मसलकर
अरि का गर्व हरने वाले!!
डॉ पंकजवासिनी
असिस्टेंट प्रोफेसर
भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय