आधीही रात थी वो
आधाही चन्द्र था वो
आधा भरा खुशीसे
प्याला जो हाथ था वो
आधाही शब्द था वो
आधाही अर्थ था वो
आधा आसान था वो
आधा कठिन था
वो
आधा निबंध था वो
आधा प्रबंध था वो
आधेही बंधनोंका
जो एक खेल था वो
आधा यहांही था वो
आधा वहांभी था वो
आधा सवाल था वो
आधा जवाब था वो
आधा हमारा था वो
आधाही उनका था वो
आधा आधा मिलाके
पूरा न किसका था वो
आधा अनाड़ी था वो
आधा खिलाडी था
वो
ऐसे ही प्यारका वो
आधा झमेला था वो
आधा इतिहास था वो
आधा भविष्य था वो
ऐसे ही आज का वो
जो वर्तमान था वो
दिवाकर