आ जाओ


बीत जाए ना ये रात आजाओ ।
टूट जाए ना ये ख़ुमार आ जाओ ।
एक हँसी ख़्वाब तेरे लिए ।
हाथ में एक गुलाब तेरे लिए ।
महके महके ख़याल आजाओ ।।
तुमको हया की चिलमन रोके है ।
रुसवाइयाँ भी पल पल टोके है ।
हद का दामन छुड़ा के आ जाओ ।।
चाँद तारे सज़ा के बैठा हूँ।
हवाओ में ख़ुशबू समा के बैठा हूँ ।
रोक लो ये सिंगार आ जाओ ।।
ये बहारें तेरी ही बात करती है ।
तेरे आने से ये मचलती हैं।
कर लो एतबार अब तो आ जाओ ।।
हाथ में एक चिराग़ और तेरा इंतज़ार ।
फ़ैसले का तुझे है इख़्तियार ।
आज बस में नहीं हालातआजाओ।।
फ़िज़ूल ज़िक्र है दुनिया का मेरे लिए ।
बस तू ही अब खुदा मेरे लिए ।
प्यार की सोगात बन के आ जाओ ।।
सवि   शर्मा 
देहरादून 


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