कैइसेे ,कैइसे दिन प्रभू,सबका रहयो दिखाय ,
अबै करउना गवा नहिन,टिड्डी दल गवा आय,
चीन आपनि उद्डंता ,ध्दायाखौ रहा दिखाय,
वैइसी दछिड़ कोरिया,ऱहा उधम मचाय,
बजा,रहें सब आपनि ,ढपली आपनि,राग,
मजदूर बेचारे का करें,सबही रहें हैं भाग,
आंधी ,पानी अउर भूकम्पन,ते भरा यहु साल,
सब सालन कै कसर ,अबहि दियो निकाल,
एत्ती -एत्ती विपति परी ,मचा है हाहा कार,
प्रभु जी पट मां बंद हैं,कैइसे सुनैं पुकार,
कैसन है यहु लाकडाउन,दारून के खुली दुकान
घर मां मची आशान्ति,बिकि गा सब सामान,
आन लाइन कवि गोष्ठी ,की मची परी है धूम
जिनका,कोउ न पूछे ,लाइव रहें हैं घूम,
जैइसे तैइसे कटि रहे ,सबके दिन अउर राति,
गरमी बड़ी भंयकर द्धायाखौ कब है जाति
सब कुछौ उल्टा होइ रहा ,नव तपा मा बरसात,
धरती माता का करें,सबै कुछ सहें हैं जात,
संतोषी -कानपुर