रूबाई

 



1


 हर पल हरदम यादों मे आते हो तुम।


सारी बातें ख्वाबों मे बताते हो तुम।


स्वप्न  देश  में  बसेरा बना  कर ।


कितना  अब हमें  रुलाते हो तुम ।


2


अरमान  मेरे रोज जलाते हो तुम।


कितना मुझे रोज सताते हो तुम ।


दिन रात सनम तेरी याद मे जलूं।


  ख्वाब बन के  सिर्फ अब आते हो तुम।


3


बेबसी का हाल क्यूँ सुनाते हो तुम ।


पास मुझे क्यूँ नही बुलाते हो तुम ।


चाँद पर मिलूँगी तुझे एक रोज मैं।


दूर जा के हर कदम क्यूँ रुलाते हो तुम ।


सुषमा दीक्षित शुक्ला


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