मीन - नीर -सी होती प्रीति,
प्रीति की महिमा है अपार,
प्रीति नहीं तो कुछ भी नहीं,
है प्रीति से चलता संसार,
है प्रीति से चलता संसार,
त्याग - समर्पण की है प्रीति,
कहते 'कमलाकर' हैं जीवन में,
सफलता की जननी है प्रीति।।
कवि कमलाकर त्रिपाठी.
प्रीति