मुक्तक-

 



भूल पराक्रम भारत का जब,दुश्मन ने ललकारा है।
उसकी ही भाषा में उसको,दिया  जवाब करारा है।
चाहे जितना  शक्तिवान हो ,फर्क नहीं कोई पड़ता,
दुश्मन को उसके ही घर में, घुसकर हमने मारा है।।


सदा  अहिंसा  परमो  धर्मः, नारा  रहा  हमारा  है। 
चाहे जो हो  दुश्मन  पहले ,कभी न हमने मारा है।
आन बचानी होती है जब,प्यारी भारत माता की,
तब दुश्मन को मार गिराना, रहता अंतिम चारा है।।


                  डाॅ बिपिन पाण्डेय


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