कुछ गीत मैं गाऊं  आज नए

 



नव प्रीत के पल्लव देख प्रिये,
इस मन में प्रतिपल फूट रहे ।
कुछ गीत मैं गाऊं  आज नए,
जो  अधरों  पर  हैं  टूट  रहे ।।


जब तट पर बंसी बाजे तुम   राधा रीत निभा जाना ।
करके मेरा आलिंगन तुम      मेरी शाम सजा जाना ।।
अपने कंकन खनका कर तुम कोई राग सुना जाना ।
तेरी झांझर की रुनझुन से नित,
कितने  घुंघरू     हैं  छूट  रहे ।।


नव प्रीत के पल्लव देख प्रिये,
इस मन में प्रतिपल फूट रहे ।
कुछ गीत मैं गाऊं  आज नए,
जो  अधरों  पर  हैं  टूट  रहे ।।


मनीष कुमार शुक्ल 'मन'
लखनऊ ।


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं लखीमपुर से कवि गोविंद कुमार गुप्ता
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं बरेली उत्तर प्रदेश से राजेश प्रजापति
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं रुड़की उत्तराखंड से एकता शर्मा
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं अनिल कुमार दुबे "अंशु"
Image