कर्मों के लेखा जोखा से,
समय बदलते देखा है।
जब समय हुआ बलवान,
सम्मान फिसलते देखा है।।
पहले तोकुछ भी सम्भाला नहीं,
आंखों में पट्टी बांधे रहे।
अपने कर्मों की करनी से,
पैसों की गठरी बांधे रहे।
पैसे से खुशियां मिलती नहीं,
खुशियों को फिसलते देखा है।।
जब समय.....
हर सत्य असत्य की गणना का,
पल पल हिसाब भी रखता है।
पिछली जो करनी कर आए,
उसकी किताब भी रखता है।
अच्छे अच्छे ठोकर खाकर,
ईश्वर दर गिरते देखा है।।
जब समय.....
रिश्तों का ताना-बाना भी,
प्रेम से है बुनना पड़ता।
संस्कार धरोहर देने में,
खुद ही तप के जलना पड़ता।
संस्कार विहीन रिश्तों का,
संसार उजड़ते देखा है।।
जब समय....
इतनी भी छूट कभी ना दो,
कमान से बात निकल जाए।
जो बात कमान से निकली हो,
वो बात कभी न सभंल पाए।
ऊंचे ऊंचे महलों को भी,
खंडहर में ढहते देखा है।।
जब समय.....
इतना रिश्तों में ध्यान रहे,
मर्यादा का भी मान रहे।
घर की नींव ना हिल जाएं,
ये रिश्तों में सम्मान रहे।
खुद समय से पहले जागो सब,
चमन बिखरते देखा है।
जब समय...
राखी कुलश्रेष्ठ
कानपुर