नीले काले गहरे बादल
प्रकृति का सौंदर्य निराला
कभी लगे चितकबरे बादल
नीले काले .........
कभी गर्जन है कभी तड़पन है
दामिनी मचलने लगी,
ज़ोर शोर से चलती हवायें
मौसम में जादू कपंन है
हाथों से निकला जाए आंचल
कभी लगे........
झूम रही है कैसी लतायें
हर शाखाएं लहरा जाये
फूलों की खुशबू बिखरी है
रात कैसे चमक रही है
बोलो कैसे बचाये दामन।
कभी लगे.........
हरियाली वसुधा पर छाई
झूम -झूम चलती पुरवाई
रिमझिम बारिश की फुहारें
मोतियों सी लगती कतारें,
कली बदली लगती काजल
कभी लगे,.........
कभी लगे.......
स्वरचित पूनम दुबे वीणा
अम्बिकापुर छत्तीसगढ़