इंसान हो
इंसानियत का धर्म
हमेशा निभाया कीजिए ।
मानव का
जन्म लेकर साथी
कर्म सही कीजिए।
राह हो
कंटकों से भरा हुआ
भय न मन में कीजिए ।
सत्य का
पथ ही पकड़ना
असत्य छोड़ दीजिए ।
चार दिन की
ज़िन्दगानी है ये
इसको न गंवा दीजिए।
हो सके गर
दुनिया का साथी ,
कल्याण किया कीजिए।
इंसान हो
इंसानियत का धर्म
हरदम निभाया कीजिए ।
डॉ.सरला सिंह स्निग्धा
दिल्ली