है मिलता ज्ञान तभी हमें,
जब प्रबल इच्छा, जिज्ञासा रहती,
औ मिट जाता है अंधियारा सारा,
जहाँ जगमग जगमग ज्योति जलती,
जहाँ जगमग जगमग ज्योति जलती,
तम, अज्ञान कहाँ ठहर पाता है,
कहते 'कमलाकर' हैं विवेक बिना,
कभी ज्ञानप्राप्त नहीं हो पाता है।।
कवि कमलाकर त्रिपाठी.
ज्ञान