दिल के रिश्तों में रुहानी प्यार होना लाज़िमी है,
दोनों ज़ानिब रम्ज़ में इज़हार होना लाज़िमी है।
रूहे एहसासात में इक़रार होना लाज़िमी है,
दरमियाँ जज़्बात में एतबार होना लाज़िमी है।
यूँ दिलों के दरमियाँ आधी अधूरी आँच में भी,
इक मुक़म्मल दास्ताँ का सार होना लाज़िमी है।
दोनों ज़ानिब हो रही है गुफ़्तगू ख़्यालों में पैहम,
इसलिये हर्फ़ों में आँखें चार होना लाज़िमी है।
दरमियाँ रुठने मनाने का मज़ा है अलहदा,पर
हर मधुर तकरार में अधिकार होना लाज़िमी है।
रूहे एहसासात की नज़रों में है सूरत तुम्हारी,
इसलिये ख़्यालों में भी दीदार होना लाज़िमी है।
मुब्तिला होने लगे जब दिल रुहानी आशिक़ी से,
तब भवानी खुद ब खुद अशआर होना लाज़िमी है।
शावर भकत "भवानी"
कोलकाता
पश्चिम बंगाल