बाल कविता

 



प्यारेे बच्चों,


           असली गर्मी अब पड़ रही है।नवतपा के तीन दिन बीत गए हैं।तापमान की सुई 36 से 46-48 डिग्री के आसपास थिरक रही है।सुबह सूर्य निकलते ही तपना शुरू हो जाता है,हवाएं चलना तो दूर पेड़ों के पत्ते तक दिन भर नहीं हिलते।रात पंखे और एसी चलने के बावजूद शरीर में पसीना पुचपुचाता रहता है।
               ऐसे में घर से बाहर खेलने तुम बिल्कुल मत जाना।बाहर कोरोना के साथ चुड़ैल गर्मी भी मुंह फाड़े खड़ी है।धूप से बचने,लू से बचने वो सारे काम करना जो घर के बड़े-सयाने कहते हैं।3 जून तक नवतपा का कहर बरपेगा।6 जून से आषाढ़ मास प्रारंभ होगा।गर्मी और उमस से तब भी निजात नहीं मिलने वाली है।आषाढ़ के बादल जब जमकर बरसेंगे तब चुड़ैल गर्मी शांत होगी।खेतों की प्यास से फ़टी हुई छाती तब शांत होगी।
                तुम लोगों के लिये यह फोटो रचना प्रस्तुत है।इसमें गर्मी और लू से बचने कुछ पारम्परिक उपाय दिए हुए हैं जिन्हें तुम लोगों को भी सबक की तरह याद कर लेना चाहिए।याद करोगे ने यह सबक तुम सब लोग ?


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