औरत कैसे कहलाऊँ... 

 



हर महीने होता
मासिक धर्म
पाँच दिन की पीड़ा
वो चिड़चिड़ापन
वो घबराहट
वो तेज पेट दर्द का होना
तकिये से लिपट 
सुबक-सुबक के रोना


आख़िर क्या है? 
जो औरत को पूरा करता
जिसके लिए
य़ह मासिक धर्म होता 
माँ होने का
दर्जा जो दिलाता
सारी पीड़ा
को सह घर के सारे
काम वो करती
आख़िर - 
एक औरत
कितनी सहनशील होती..!


 अनुभूति गुप्ता


 


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