जब पूछे ना केहू त
आ जई ह ।
आ के चपुके से दिल में
समा जई ह ।।
प्यार करब हम तोह से
पहिले नियन ।
बानी कइके रखले त
उs जतन ।।
हमरा मनवा के शरधा
पूरा जई ह ।
घर में हमरा दियरी
जरा जई ह ।।
हम त रहनी ह तहरा
इकरार में ।
का पता रहल मिलबू
इनकार में ।।
जवन जखम दे के गइलू
मिटा जई ह ।
.......दरद दिल के दवाई
लगा जई ह ।।
✍️
शैलेन्द्र कुमार तिवारी
सिंगरवा ,
अहमदाबाद
गुजरात