सपने बुलाते हैं नौकरी रुलाती है।
जाने की सोचो तो काम ही बताती है।।
मन तो बिचारा है सपनों का मारा है,
बाँधे न बँधता है बिलकुल आवारा है,
नौकरी के नखरे हैं ताने सुनाती है।
जाने की सोचो तो काम ही बताती है।।
कविता मोहब्बत है सर्वस्व अर्पण है,
पर नौकरी मे तो सपनों का शोषण है,
सिर पर चढ़े बैठी हर दम डराती है।
जाने की सोचो तो काम ही बताती है।।
दिल जिद पे बैठा है कविता मे जाना है,
गीतों मे गजलों मे जीवन बिताना है,
नौकरी ईशारे पर जी भर नचाती है।
जाने की सोचो तो काम ही बताती है।।
🤦♀©डॉ.शिवानी सिंह