देख अँधेरा मत करें, व्यक्त कभी भी शोक।
शुभ आगमन प्रकाश का,कौन सका है रोक।।1
शौर्य धैर्य रणनीति का,अगर नहीं हो संग।
कोई भी जीता कहाँ, जज़्बातों से जंग।।2
वे अपने होते नहीं,जिनके मन में बैर।
जहर भरे विषदंत से,काटें केवल गैर।।3
कठिनाई के समय में,जो भी आए काम।
उसका ही शामिल रहे,बस अपनों में नाम।।4
रहता है अनभिज्ञ जो,समझ न पाता मर्म।
नाम धर्म का ले वही ,करता सदा कुकर्म।।5
डाॅ. बिपिन पाण्डेय