पानी और जीवन....।..।...

 


.रचना मा विथि कीअमोल रत्न नारियाँ,


निशाचरों को समझ  ए बात आनी चाहिए।।


निशाचरों का वंश नाश कृष्ण राम ने किया,


फिरहू समाज विष बेल दूरी चाहिए।।


घूम रहे हिन्द मेंअनेक रूप धारि धारि,


कानून  को कभी नही सुरक्षा देनी  चाहिए।।


भाखैं कवि चंचलनिहार नर पिशाचों को,


सिर्फ सजा इन्हें एक फाँसी होनी चाहिए।।1।।


घूमि रहेभिन्न भिन्नरूप धारि हिन्द बीचु,


कहूँ साधु,कहुँ नेता कहूँ तन धारी हैं।।


जियो और जीने दो के अनु यायी हैंसदा,


नागरूप धारि ए समाज विषधारी हैं।।


भाखैं कवि चंचल कानूनी दाँव पेच खेलि,


घूमते हैंहिन्द में बनि बर्म्हचारी हैँ।।2।।


 


रमेश कुमार दिवेदी चंचल,


9125519009,8853521398  ।


Popular posts
सफेद दूब-
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
अभिनय की दुनिया का एक संघर्षशील अभिनेता की कहानी "
Image
वंदना सिंह त्वरित : साहित्यिक परिचय
Image
कर्ज संकट की खास योग
Image