.रचना मा विथि कीअमोल रत्न नारियाँ,
निशाचरों को समझ ए बात आनी चाहिए।।
निशाचरों का वंश नाश कृष्ण राम ने किया,
फिरहू समाज विष बेल दूरी चाहिए।।
घूम रहे हिन्द मेंअनेक रूप धारि धारि,
कानून को कभी नही सुरक्षा देनी चाहिए।।
भाखैं कवि चंचलनिहार नर पिशाचों को,
सिर्फ सजा इन्हें एक फाँसी होनी चाहिए।।1।।
घूमि रहेभिन्न भिन्नरूप धारि हिन्द बीचु,
कहूँ साधु,कहुँ नेता कहूँ तन धारी हैं।।
जियो और जीने दो के अनु यायी हैंसदा,
नागरूप धारि ए समाज विषधारी हैं।।
भाखैं कवि चंचल कानूनी दाँव पेच खेलि,
घूमते हैंहिन्द में बनि बर्म्हचारी हैँ।।2।।
रमेश कुमार दिवेदी चंचल,
9125519009,8853521398 ।