कवि_शायर

 



पत्थर पर दूब जमाते हो सूरज को दीप दिखाते हो, 
हाथों में जुगनू लेकर तुम रातें रोशन  कर जाते हो!
~~~~~~~
जलते मरुथल में,उपवन की तुम  सहज कल्पना कर लेते, 
सागरकी लहरोंपर चढ़कर,सपनों का महल बनाते हो!
~~~~~~~
तुमको बबूलके पेड़ों पर,मिलते रसाल के मीठे फल,
कीचड़ से चुन लाते गुलाब काँटों में कमल खिलाते हो!
~~~~~~~
पत्थर की खानोंसे हीरे खेतों से सोना लेआते, 
सागर तट पर बैठे बैठे,मोती लेकर घर आते हो!
~~~~~~~
युवती के अधरों पर तुमको दिखते हैं मदिरा के प्याले,
काली लहराती जुल्फों से सावन भादों बरसाते हो!
~~~~~~
सूरज में शीतलता दिखती छाया में धूप नजर आती, 
गर्मी के मौसम में भी तुम हिम की वर्षा करवाते हो!
~~~~~~
पर्वत से निकल रही नदियाँ बल खाती नागिन लगती हैं, 
तुम चाँद धरा पर लेआते,धरती आकाश मिलाते हो!
~~~~~~ 
भगवान स्वयं हैरान हुआ जाता है तुमको देख देख, 
उसके सब नियम बदलकर ही तुम कवि,शायर कहलाते हो! 
~~~~~~
 ----- विद्या भूषण मिश्र "भूषण"-----
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
सफेद दूब-
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image
ठाकुर  की रखैल
Image