बाह रे भोट

बाह रे भोट
बाह रे भोटवा, चुनउआ याद आवता
जगके पतिया पर खात मंगरुआ के,
उठाई के बेलअवनी,भाव-भेदिया करअवनी।
अब भवदी चलावता ,
कान्हा-गले लगाके,खुबे देखावता,
आईल चुनअउआमे ,खुन के नाता बतावता।
बाह रे भोटवा...............
गली-मोहल्ले घुमाईके,उलटा बोलववले।
हमनीके अपनेे मेखुबे लडवावता।
जवन रोजे जातियता केजहर घोरले,
आज ओकरे के ,अमरित बतावता।
चउका -छक्का लगावता,
हम सभनी के, जान मरवावता
वाह रे भोटवा.... .......
भुखे मरत गरीबवाके, खुबे गरियवलख।
आजु ओकरे मे ,भगवान रूप भावता।
बाराण्डेड दारूसे, पेआस बुझावता।
बाह रे भोटवा ...........
तोर चुगलपन ,भाई-भाई के फोडलख,
आपन हित, खुबे सधलख।
हाथ जोड़ी के, खुबे भरमावता।
बाह रे भोटवा ..........
जात-धरम मे ,अलग  सब भईले,
गांव-जवार,समाज से छटवईले।
आज आपन मोकवामे, सबके मिलावता।
बाह रे भोटवा ................
कही गरीबन के भगईले,कही हसते मे उरिअईले।
समईया गजबे आईल, सबसे मिठा बोलवावता।
बाह रे भोटवा ............
केहू किने पईसापे, त केहु दारू मोबाईले देखावता।
बात नाही मनला पर,दमखमिया देखावता ।
साच बतिया पर "साधु जी" के, खुबे धमकावता।
बाह रे भोटवा,तोर खुबेयाद आवता।


शैलेन्द्र कुमार साधु 
पं०महेन्द्र मिश्र के मिश्रवलिया,
जलालपुर,सारण ,बिहार 
सम्पर्क-९५०४९७१५२४


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