तेरी गर्म यादों का
नर्म स्वेटर पहन मेरी
सर्द तन्हाइयाँ सोती हैं ।
तेरी ख्वाहिंशो में रंग
मेरी आँखे सप्तरंगी
ख्वाब सजोंती हैं ।
सर्दी की गुनगुनी धूप सी
तेरा स्पर्श पा...
मैं और मेरे अहसास
खिल उठते थे जो बसन्त से ।
सुनो
वो शरद के चाँद !
फिर मेरे मन में आज
ये विरह का अमावस क्यूँ.. ?
किरण मिश्रा "स्वयंसिद्धा"
23.11.2019