सियरू

 

 

 

 


 

गली-गली    मचइले   बारें   शोर  रे,




सियरू ठाढ़ भइलें फेरू कर जोड़ रे।


गइलें   वादा    कई,  रोजी   पेढ़ाइब,
पानी  आ  जवानी  के, राह  धराइब।
ढ़रकत    आजो   अंउसहीं,  लोर  रे,
सियरू ठाढ़ भइलें फेरू कर जोड़ रे।


बिलड़ा आ हुंअरा कुछुओ ना कइलस,
लूट लूट धन सब, तिजोरी  में धइलस।
भाग रहल  बा जवनियाँ, गांव छोड़  रे,
सियरू  ठाढ़ भइलें, फेरू कर जोड़ रे।


कहे पैनाली  छोड़ऽ, लड़ल  जात  पर,
पूछा  सवाल, रोजगार  जस  बात पर।
कबले   रहबऽ  चुपचाप, मुंह  मोड़  रे,
सियरू  ठाढ़ भइलें, फेरू  कर जोड़ रे।
                  दिलीप पैनाली
सैखोवाघाट
तिनसुकिया
असम





 


 

Popular posts
सफेद दूब-
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
अभिनय की दुनिया का एक संघर्षशील अभिनेता की कहानी "
Image
बाल मंथन इ पत्रिका का ऑनलाइन विमोचन
Image
अभियंता दिवस
Image