सरहदें पार कर गई

 



मेरी मुठ्ठी में बन्द नहीं हो सके 
जो पल
मैं तलाश में उनकी 
सरहदें पार कर गई ।


पहुंच गयी अजनबियों के खेमे में 
अब देनी होती है हर मुस्कान की कीमत ।


असमंजस में हूँ 
हाथ का दीपक रखूँ कहाँ
कहाँ दफन कर दूँ मैं 
अपने युवा स्वप्न ।........................रचना ।


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