हे नारी तोहर रूप बा कातना।
हम गीन ना पाईं बा ओतना।।
बेमिसाल बा हर रूप तोहर।
होलु दयालु कबो देखाव जौहर।।
कबो दुर्गा काली, हऊ तू धरती माई।
अउरत,बेटी, बहिन तs कबो हऊ माई।।
तूहीं सब के एक सूत में बान्हेलू।
बेटा बेटी के एके जइसन मानेंलू।।
फूल जइसन कोमल हो जालू।
कबो तू धधकत शोला बन जालू।।
दुखिअन के दुख देख पिघल जालू।
पपिअन के देख तू दुर्गा बन जालू।।
गणपति कहेलन नारी के रूप अनेक।
उ होली भगवान जइसन नेक।।
©️®️
गणपति सिंह
छपरा बिहार