राजनीति

 


मंत्री बनते ही लक्ष्य हासिल
घोटाला  भी  मिट  जाता है,
दाग धब्बे अब तो  रहे  नही
सर्फ एक्सेल धरा रह जाता है ।


बस बैठने की देखिए होड़
खिड़की से गमछा बिछाता है,
द्वारपाल भी थे संदेह दायरे में
सियासी टायर पंचर हो जाता है ।


रायता फैली,अब बन रही है खीर
जनता  लाचार ,ठगे जाएंगे  फिर
जख्म पर मरहम ,कौन चाहता है,
बेमेल विचारधारा,सियासी हो जाता है।



    .....सुरेश वैष्णव   


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