कदम तेरे बढ गए

 


 



नज़रों को झुकाया
कदमों को समेटा है
ठहर गए कदम
कुछ पल के लिए
पर क्या तू तो रुका नहीं
कदम तेरे बढ़ गए
निकल गया आगे मुझे से तू
देखा नहीं अनदेखा किया
या पहचाना नहीं तूने मुझे
भुला दिया लगता  है
या भूल गया मुझे तू
छोड़ो जाने दो
चलो इतना सुकु रहा
करीब से तो गुजारा तू✍️
                          गीत शैलेन्द्र


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