कभी धूप कभी छांव है जिन्दगी,
कभी शहर कभी गाँव है
जिन्दगी।
कभी माझी तो कभी ,
पतवार है जिन्दगी।
कभी कहानी तो कभी ,
अखबार है जिन्दगी।
कभी किनारा तो कभी,
दरकिनार है जिन्दगी।
कभी गीत तो कभी ,
मलहार है जिन्दगी।
कौशल बंधनां पंजाबी।(स्वरचित)
कभी धूप कभी छांव है जिन्दगी,
कभी शहर कभी गाँव है
जिन्दगी।
कभी माझी तो कभी ,
पतवार है जिन्दगी।
कभी कहानी तो कभी ,
अखबार है जिन्दगी।
कभी किनारा तो कभी,
दरकिनार है जिन्दगी।
कभी गीत तो कभी ,
मलहार है जिन्दगी।
कौशल बंधनां पंजाबी।(स्वरचित)