रह रह के उनकर घुँघटा उड़ेला।
एक झलक पावेला मन तरसेला।
कइसन आलम बा प्यार के हो
एक नजर ला इ नजर तरसेला।
पता ना केकरा किसमत में बाड़ी
इहे सोच सोच के मन सिहरेला।
छुअत हवा के खुशबू से हमरो
होखत नाशा से मनवा बहकेला।
सामने जब उ बइठस हमरा जी
सटाईं छतिया, मनवा मचलेला।
सोंची भेंट करीं हम उनका से
देखते मनवा हमर खुदे सिमटेला।
सपना जे देखनी हम उनकर जी
पूरा ना भइल, उ सपने रहेला।
हे गणपति! हमरो आस पुराईं
उनके आस में दिलवा धड़केला।
रह रह के उनकर घुँघटा उड़ेला
एक झलक पावेला मन तरसेला।
©️®️
गणपति सिंह
छपरा बिहार