गहरी  खुशी  मुझे  मिलती है 

 



मैने देखा है सूरज को 
जितना उपर आसमान में, 
उतना सागर में पलता है ।
मन्थर-मन्थर  चलते-चलते  
गहरे सागर में  जलता है  ।
क ई बार चाहा है मैने 
गहरे सागर  का रवि पकडू ,
किन्तु  न जाने क्यों  अक्सर  वो
छूने से पहले ढलता है ।
मुझको इसका दर्द नहीं  कि
देखा रवि  को सागर  जाते ,
गहरी खुशी मुझे  मिलती है, 
जब देखा सागर को रवि  पाते ।
#########अर्चना,


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