एकाकीपन के साथी

 


 



एकाकीपन के मेरे साथी
कैसे तुझको विस्मृत कर दूं।
आ भरकर बाहों में तुझको,
जीवन विषक्त अमृत कर दूं।।


     नील गगन में छिपा कोई,
      क्यों मुझको आवाजें देता है।
        उसके आने की आहट पर,
         क्यो दिल चुपके से रोता है।
चिड़ियों सी चहक भरूं तुझमें खुशियों से तन मन भर दूं।
आ .....
    
   ‌मौन मेरा जब भी रोया ,
  क्यों तूने आहट सुन ली।
   नींदों ने जब मुंह मोड़ा,
    क्यों नेहभरी थपकी दी थी।
अश्रु बूंद बरसाकर मन तेरा आदृतकर दूं।
आ .....


     सपन सलोने आंखों के,
      पूर्ण हुए न जीवन में।
      महफ़िल में सुकून मिल न सका
चैन मिला एकाकीपन में।
उलझी सी जीवन धुन में आ थोड़ी सुलझन भर दूं।
आ भरकर....
स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
रंजना शर्मा 
उत्तर प्रदेश 
बदायूं


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