वाणी अमृत नेह के, मीठा जेकर गीत ।
ऊ जग में धनवान बा, होला ओकर जीत ।।
सौ रंगन में जग मिले, भावे भींगे रंग ।
साजन रंग दे आप में, रखके अपने संग।।
प्रेम पिया के राह हs, सच्चाई हs प्रीत ।
ऊ जग में...................................।।
प्रीतम के खोजी करे, जंगल-जंगल जाए ।
अपना में जे झाँक ले, उहे पता पा जाए ।।
छेड़ी मन के साज अब, गाई मन के गीत ।
ऊ जग में....................................।।
सच्चा प्यार जे पा सकल, पावल मन के मीत ।
ऊ जग में..........................................।।
(जौहर शफियाबादी)