तिरियाचरित्तर का नामै खराब बा
देख हो लोगन कइसन समाज बा
सत्ता का नशा हौ मेनका के जइसन
विश्वामित्रन क त बहक़त दिमाग बा।
हमके न चाही कहैं गद्दा अमीरन क
नियत हमार राऊर पाकै -साफ बा
ग़फ़लत में झोंकेन हमनी सभन के
देख हो देख कइसन सरताज बा।
देहले तू गच्चा हमैं काही हो बच्चा
पीठवा सोहराय कहेे होई सब अच्छा
कइके बियाह हमसे दुलहिन बनौबे
सौतियाडाहे हमैं झोंकत समाज बा ।
गजब हो गजब ,ग़ज़ब तोर बतिया
मीठ -मीठ सुनके जागे सारी रतिया
होत भिनसारे अइसन गाज गिरौले
सेजिया पे रौरा गुलबवा झुरात बा ।
अरे गजबै तू खेला खेले मोरे राजा
आंखीं में धूर काही झोंके मोरे राजा
कईसे बताई हो दरदिया करेजवा के
बड़े बड़न क रौरा डोलत दिमाग बा।
कुसुम तिवारी झल्ली
23,11,2019