अवधी हमार:१९
-डा•ज्ञानवती
अद्भुत है ई देस केरी माटी। अद्भुत है ई का जल। अद्भुत है यहिकी हवा। अद्भुत है ई का ताप।ई धरती के जल के कण कण मां प्रवाह , दया , करुणा , उदारता , परोपकार और शीतलता - ई सबै गुण विद्यमान रहत हैं | मनुष्य कितनौ व्यथित होय, ठंडे जल से स्नान करतै खन ऊ शान्त होय जात है | जलै परान है | जल मनुष्य क पुण्य - कर्म करै केरी प्रेरणा देत है । वर्षा ऋतु वृक्षारोपण केर संदेश लै के आवत है।बिरवा तौ मनुष्य केरे सबसे पुरान मित्र हैं।वै तो देतै रहते हैं-
वृच्छ कबहुं न फल भखैं,नदी न संचै नीर।
परमारथ के कारजे, साधुन धरा सरीर।।
यहे लिए वृक्षारोपण केरी बड़ी महिमा है।कौनो देश मां वृक्ष अधिक होंय,तौ ऊके सुख, सौभाग्य और समृद्धि केरी निशानी कहे जात हैं।बिरवा रोपना एक पुन्य केरा काम है।पद्मपुरान मां बतावा गा है कि पुलस्त्य ऋषि बिरवा लगावै केर महत्त्व बतावत भये कहिन हैं कि बिरवा लगावै से पुत्र होय के समान फल प्राप्त होत है।तीरथ मां लगाए बिरवा पिंडदान केरा फल देत हैं।नदी तलैया के किनारे बिरवा लगावै से अनंत पुन्य केरी प्राप्ति होत है।पीपर केर बिरवा नदी तालाब केरे किनारे लगावै से सैकडन यज्ञ केरा फल मिलत है।
भविष्य पुराण मां लिखा है जौ मनुष्य छांहीदार बिरवा, फलदार बिरवा,फूलन केर बिरवा रस्ते, देवथान,दुआरे लगावत है, ऊके जन्मजन्मांतर केरे पाप नष्ट होय जात हैं।पीपल केरी महिमा तौ विग्यानौ मानत है।ई मां किरवा नाय लागत। सबसे ज्यादा आक्सीजन छोडत है।बिरवा लगावैक महत्त्व भौगोलिक रूपौ से है।नदी किनारे बिरवा कटान रोकत हैं,हवा ठंडी और शुद्ध होइ जात है।रस्ते मां छांही मिलत है।दुआरे केर बिरवा घर ठंड रक्खत हैं और प्रदूषन रोकत हैं।
अवधी हमार:१९