आपणी बात कह कै

तू तो चला गया आपणी बात कह कै
याद करा करैगी मन्नै तू तन्हा रह कै


बावले भूल गया तू जो मन्नै बताई थी
औरत के नसीब म्ह कित तन्हाई थी


घिरी रहवै स औरत मर्यादाओं तै
कदे थोड़ी तो कदे ज्यादाओं तै


कदे दुविधा कदे चिंता साथ रहे जा स
सूं मैं एक औरत न्यू मन्नै कहे जा स


लाज, शर्म बंध रही पल्लै कै न्यू सबनै बेरा स
मरण की फुरसत कोणी जिम्मेदारियां नै घेरा स


बाकी बात आपणी गुरु "सुलक्षणा" तै बुझ लिए
म्हारी बाट म्ह तन्हाई के बी खड़े खड़े पाँ सूज लिए


©® डॉ सुलक्षणा


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