25वाँ किताब : भोजपुरी के पहिला तीन गो लिपिबद्ध किताब 

 



प्रस्तुति : बिमलेन्दु कुमार पाण्डेय


किताब 1 :  बदमाश दर्पण ( गजल संग्रह )  
गजलकार :  तेग अली तेग 
प्रकाशक :  भारत जीवन प्रेस , वाराणसी / विश्वविद्यालय प्रकाशन , वाराणसी 
पहिला संस्करण :  1895 / 2002 
भाषा : भोजपुरी 


किताब 2 :  जेहल कs सनदि ( कहानी संग्रह )  
कहानीकार :  ( अवध बिहारी सुमन ) दण्डिस्वामी विमलानंद सरस्वती 
प्रकाशक :  भोजपुरी साहित्य मंदिर , वाराणसी 
पहिला संस्करण :  1948 
भाषा :  भोजपुरी 


किताब 3 :  बिंदिया ( उपन्यास )  
उपन्यासकार : रामनाथ पांडेय  
प्रकाशक :  भोजपुरी संसद , वाराणसी 
पहिला संस्करण :  1956 
भाषा : भोजपुरी 


[  नोट :  25 किताब के सिरीज में इ अंतिम पोस्ट ह ।  बाकिर एह सिरीज में हमरा निजी रुप से अतना खुशी मिलल ह कि सोचत बानी कि भोजपुरी के किताबिन के बारे में इ चर्चा जारी होखे आ ओह खातिर कुछ नया अलग हैशटैग दिहल जाइ ।  एह सिरीज में कुछ 5-6 गो अइसन किताब बा‌डी स जवनन के चर्चा नइखे भइल आ उ किताब जरुरी बा‌डी स भोजपुरी खातिर , ओह किताबिन के चर्चा आगे होइ ।  जइसे जइसे हमरा लगे भोजपुरी के किताब बढे लागी तइसे तइसे हम ओह किताबिन प लिखब।  हं लिखत घरी अतना जरुर करब कि , ओहि किताब के लिखीं जवन भोजपुरी भाषा खातिर जरुरी होखे आ अरकस-बथुआ ना होखे । ] 


आज हम जवना तीन गो किताबिन के चर्चा करे जा रहल बानी इ तीनो किताब अपना अपना क्षेत्र में पहिला लिपिबद्ध भोजपुरी किताब हई स ।  खास बात बा कि एह तीनो किताबिन के प्रकाशन बनारस में भइल बा ।  एह से अंदाजा लगा सकेनी सभे कि एक समय बनारस ,भोजपुरी भाषा आ साहित्य के कतना बड़ आ बरिआर गढ रहल बा ।  बनारस में संस्कृत पनपल , हिंदी के आधार मिलल आ भोजपुरी त बनारस के हइये ह । बनारस के भाषा में एह तीन भाषा के अलावा , अवधी , ब्रज , राजस्थानी आ पंजाबी के प्रभाव एह से परेला काहें कि आजे से ना मुगल काल से बनारस अलग अलग क्षेत्र के एगो तय जगहि रहल बा ।  कबीर के समय इ यात्रा बेसी हो गइल रहे ।  एहि से बनारस के स्थानीय भाषा में भोजपुरी के केंद्र के आरी कगरी ढेर कुल्हि छवंकाइल बा आ सींझल बा ।  बावजूद एह कुल्ह के बनारस लमहर समय ले भोजपुरी के केंद्र रहल बा , बीसन बरिस ले अखबारन में भोजपुरी में लेख कविता कहानी प्रकासित होत रहल बा ।  


भोजपुरी में छिट-पुट काम त पहिलहीं से होत रहल बा , कलकत्ता , पटना आ बनारस भोजपुरी साहित्य आ भोजपुरी में प्रकाशन के केंद्र रहल बा ।  छोट-मोट-गोट किताब एह तीनो जगहन से प्रकाशित होत रहल बा बाकिर भोजपुरी साहित्य जगत एहि तीन किताबिन के भोजपुरी के पहिला गजल संग्रह , भोजपुरी के पहिला कहानी संग्रह आ भोजपुरी के पहिला उपन्यास मनले बा । 


[ हम भोजपुरी के पहिला निबंध संग्रह प एह के संगे लिखे के सोचले रहनी बाकिर उ किताब हमरा ना मिलल ह एह से एहि तीन प चर्चा ]  


 त चर्चा एहि तीन गो किताबिन प - 


किताब 1 :  बदमाश दर्पण ( गजल संग्रह )  


तेग अली बनारस के मुहल्ला तेलियानाला मुत्तसिल भदाउँ के रहे वाला रहनी । भारतेंदु युग के समकालीन साहित्यकार , भारतेंदु मण्डली में शामिल रहनी । रामजी , कन्हैया , प्रयाग , काशी , मथुरा वृन्दावन , जगन्नाथ धाम , द्वारिका आदि इँहा के गजलन में बेर-बेर मिलेला । दुर्गा , भवानी , गंगा , राम , तुलसी आदि के किरिया इहाँ के बेर- बेर अपना गजलन में खियवले बानी । काशी के गवइयन के सरदार रहनी तेग अली तेग जी । बदमाश दर्पण जइसे कि नाव से पता चलत बा , इहाँ के गजलन में भक्ति भाव भी लंठई में लउकेला ।  यानि कि तेग अली के दबंग प्रवृत्ति आ अक्खड़पन एह किताब के गजलन के एगो अलग पहचान ह जवन बहुते कम लउकेला ।  


सन 1895 में तेग अली तेग जी के 23 गजलन के दीवान ' बदमाश-दर्पण ' के प्रकाशित करे के श्रेय जाला बाबू रामकृष्ण वर्मा जी के । भारत जीवन प्रेस में तेग अली तेग के किताब आ भोजपुरी के पहिला गजल संग्रह प्रकाशित भइल रहे । बाकिर इ किताब अब ना मिलेले । एहि समय में वर्मा जी , भोजपुरी में बिरहा छन्द भी प्रकाशित करवइले रहनी । एह किताब के नाव ' बदमाश-दर्पण ' राखे के सुझाव वर्मा जी के रहे । एह किताब यानि कि तेग अली के दीवान ' बदमाश-दर्पण ' ( नवका जवन 2002 में प्रकाशित भइल आ कभर फोटो लागल बा ) कुल 23 गो गजल जवना में लगभग 200 शेर बा । अइसने नइखे कि तेग अली के अतने रचना बा , उ फगुआ चैती कजरी आदि गावत सुनावत रहले ह बाकिर ओह गीतन के संकलन कहीं नइखे । एह किताब में हर गजल के बाद ओकर माने आ हर जरुरी शब्दन के हिन्दी अर्थ दिहल गइल बा । एह किताब के माध्यम से बनारस के भोजपुरी के ओह शब्दन के माने पता चली जवनन के प्रयोग अब बनारसो में नइखे आ भोजपुरी के बाकि जगहन प भी नइखे ।  एगो संग्रहणीय किताब ।  


किताब 2 :  जेहल कs  सनदि ( कहानी संग्रह ) 


हम क लोगन के मुहें सुनले बानी , हम एह किताब के पुरा नइखी पढले बाकिर एह किताब के हम 4 गो कहानी पढले बानी , लोग इहे कहेला कि भोजपुरी में अइसन कहानी ना लिखाइल बा आ शायदे आगे लिखाइ  ।  एह किताब के उदय नारायण तिवारी जी भोजपुरी के सर्वश्रेष्ठ कृति कहेनी , एह से ना कि हर कहानी के कथ्य अपना आप में माटी-खांटी वाला बा बलुक एहू से कि हर कहानियन के भाषाई संरचना , गद्य लेखन के टांठ बाकिर सहज माटी से जुड़ल अंदाज , कथ्य शिल्प अदभुत बेजोड़ आ करेजा के काढ देबे वाला बा ।  जेहल के सनदि भोजपुरी के पहिला कहानी संग्रह ह ।  एह किताब के भुमिका डा. उदय नारायण तिवारी जी लिखले बानी ।  


एह किताब में कुल्ह 10 गो कहानी बा - 


1-मलिकार 
2-आतमघात 
3-मँवनी बाबा 
4-कतवारु दादा 
5-किसान-भगवान 
6-चउर कs पूजा 
7-सनकी 
8- दफा 302 
9-जेहल कs सनदि 
10-कबि कयलास 


इ किताब कहाँ से मिली मालूम ना , उम्मेद बा भोजपुरी साहित्यांगन प लागे , ना त दिसम्बर में हमरा खातिर एह किताब के एगो कापी अस्थिर राखल गइल बा , फेरु एह किताब के हम दिसम्बर के बाद आनलाइन क सकेनी ।


  
किताब 3 :  बिंदिया ( उपन्यास )  


भोजपुरी क्षेत्र में रुढिवाद आ ओइसन विचार के खिलाफ हरदम आ पुरहर आवाज उठल बा ।  इहे ना धार्मिक आडम्बर प बरिआर घाव देबे से ले के स्त्री के अभिव्यक्ति के आजादी तक भोजपुरी साहित्य उखड़ के आपन बात कहले बड़ुवे आ एकर बुनियाद शिष्ट साहित्य मे ही ना , लोक साहित्य में मिलेला ।  बिंदिया उपन्यास के बुनियाद , भोजपुरी के ओहि आत्मा के आधार ह। 


एह किताब के राहुल सांकृत्यायन जी के शुभकामना मिलल बा आ मनोरंजन प्रसाद सिंह जी के प्रस्तावना एह किताब के बुनियाद आ गहिराई के बता रहल बा ।  रामनाथ पांडेय जी भोजपुरी भाषा आ साहित्य में अजगुत योगदान देले बानी , आ भोजपुरी में उपन्यास के बुनियाद राखि के इहाँ के भोजपुरी साहित्य खातिर एगो नया बड़ आ बरिआर डराणि घींचले बानी ।  


उपन्यास गांव से जुड़ल बा खेती बारी किसानी से जुड़ल बा , औरत के अभिव्यक्ति आ पुरुष समाज में बेहतर बरिआर आ आजाद हो के आगे बढे से जुड़ल बा ।  एगो भोजपुरी उपन्यास के जइसन होखे के चाहीं , एगो हजारन साल के भाषा के जतना सर्वश्रेष्ठ होखे के चाहीं ओहि लीक प एह उपन्यास मूल चल रहल बा ।  एगो पढे जोग उपन्यास आ इ उपन्यास भोजपुरी साहित्यांगन प बा ।  एह से हम उपन्यास के बारे में बेसी ना लिख के साहित्यांगन प जाये के निहोरा करब ।  


चुकि बात भोजपुरी में पहिला लिपिबद्ध साहित्य के भइल ह त कुछ अउरी जानकारी - 
 
भोजपुरी में पहिला गजल संग्रह : बदमाश दर्पण - तेग अली तेग
भोजपुरी में पहिला कहानी संग्रह : जेहलि के सनदि - अवध बिहारी सुमन
भोजपुरी में पहिला उपन्यास : बिंदिया - रामनाथ पांडे
भोजपुरी में पहिला पत्रिका : बगसर समाचार - जयप्रकास
भोजपुरी में पहिला साहित्यिक पत्रिका : भोजपुरी - आचार्य महेंद्र शास्त्री
भोजपुरी में पहिला नाटक : देवाक्षर चरित - रविदत्त शुक्ल
भोजपुरी में पहिला एकांकी : तमाचा - रसिक बिहारी ओझा ' निर्भीक '
भोजपुरी में पहिला निबन्ध संग्रह : के कहल चुनरी रंगाइल - डा. विवेकी राय
भोजपुरी में पहिला यात्रा साहित्य : फोकट में सैर - डा. सत्यदेव ओझा
भोजपुरी में पहिला रेखाचित्र : सुरतिया ना बिसरे - रसिक बिहारी ओझा ' निर्भीक '
भोजपुरी में पहिला आंचलिक उपन्यास : थरुहट के बउआ आ बहुरिया - रामप्रसाद राय
भोजपुरी में पहिला रिपोर्ताज : ऐनक - परमेश्वर शाहाबादी
भोजपुरी गद्य साहित्य में पहिला पत्र संग्रह : चतुरी चाचा की चटपटी चिठ्ठिया - मुक्तेश्वर तिवारी ' चतुरी चाचा '
भोजपुरी में पहिला फंटासी उपन्यास : जीयन साह - रामनगीना सिंह विकल
भोजपुरी के पहिला प्रकाशित महाकाव्य : कुँअर सिंह - हरेंद्रदेव नारायण
भोजपुरी में पहिला समीक्षा ग्रंथ : रामकाव्य परम्परा में मानस - कमलाप्रसाद मिश्र ' विप्र '
भोजपुरी में पहिला कविता संग्रह ( कई गो कवि लो रचना के संग्रह ) - धरती के गोहार


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