जया लक्ष्मी
तुम होती तो मैं बताता तुम्हें
कैसे - कैसे मैं सजाता तुम्हें...
आँखों में रात का काजल
होठों पर शाम की सुर्खी,
गालों पर सुबह की लाली मलकर
चमकीली धूप से नहलाता तुम्हें।
तुम होती तो मैं बताता तुम्हें
कैसे - कैसे मैं सजाता तुम्हें...
कानों में सांसों का कुंडल
नाक मे ओस के मोती,
गले में बाहों का हार डालकर
कलाई में प्यार पहनाता तुम्हें।
तुम होती तो मैं बताता हूं
कैसे - कैसे मैं सजाता तुम्हें...
पतली कमर में लहर का घेरा
पांवों में धड़कन की पायल,
माथे पर सितारों का आंचल सजा
मनमीत अपना बनाता तुम्हें।
तुम होती तो ये बताता तुम्हें
कैसे - कैसे मैं सजाता तुम्हें...
बालों में फूलों का गजरा
उंगलियों में बारिश की बूंदें,
हथेलियों में एहसास का रंग भर
चांद सिलकर पहनाता तुम्हें।
तुम होती तो मैं बताता तुम्हें
कैसे - कैसे मैं सजाता तुम्हें...
सपनों का एक घर बनाकर
बादलों से उसकी छत सजाकर,
दामन में भरकर इंद्रधनुषी रंग
संग अपने ले आता तुम्हें।
तुम होती तो ये बताता तुम्हें
कैसे - कैसे मैं सजाता तुम्हें...