देवताओं के गुरु बृहस्पति
जो अंधेरे से उजाले की ओर ले जाए,
वही तो हम सबका गुरु कहलाए।
ज्ञान पाकर हम अच्छे नागरिक बन जाए,
गुरु हमको सदा यही बताए।।
गुरु को हम शीश झुकाए,
अपना जीवन सफल बनाए।
गुरु के बिना न कोई हम ज्ञान पाए,
शिक्षा देकर सद मार्ग पर लाए।।
गुरु की सेवा करते जाए,
सच्चे सेवक सदा कहाए। ज्ञान की बातें जिसको भाए,
वह ही उत्तम गुरु कहलाए।।
रामचंद्र के गुरु विश्वामित्र कहाए,
दशरथ के गुरु वशिष्ठ बताए।
देवताओं के गुरु बृहस्पति भाए,
"अनूप" सब गुरुओं को शीश झुकाए।।
आजादी
आजादी हमारा अधिकार है।
माँ भारती से हमको प्यार है।।
याद रहे झांसी की रानी।
जिसकी वीरता सब ने मानी।।
पन्नाधाय याद रहेगी।
बेटे का बलिदान सहेगी।।
लाला लाजपत राय ने लाठी खाई थी।
वो अाजादी की कठिन लड़ाई थी।।
राजगुरु,सुखदेव ने गले में फंदा डाला था।
आजादी की खातिर अंग्रेजों से पाला था।।
सरदार भगत सिंह फांसी पर झूले।
उनको हम सब कभी न भूले।।
सुभाष चंद्र बोस हमें याद रहे।
थे या है इस पर भी विवाद रहे।।
गांधी जी कई आन्दोलनों के प्रणेता थे।
आजादी की लड़ाई में सबसे बड़े नेता थे।
जब भारत के बेटो ने जान गवाई।
तब जाकर आजादी मिल पाई।।
भारत सदा महान रहेगा।
दुनिया में यशोगान रहेगा।।
भारत का है शान तिरंगा।
हम सबकी पहचान तिरंगा।।
हमारी जन्मभूमि है भारत भारती।
आओ हम सब उतारे इसकी आरती।।
हम सब वन्दे मातरम गायेंगे।
आजादी को हरगिज नहीं भुलायेंगे।।
जन-गण-मन हमारा राष्ट्रगान है।
तिरंगा फहरा कर हम गाते सावधान हैं।।
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
अनूप कुमार वर्मा
बाराबंकी उत्तर प्रदेश