मानसी मित्तल
हरियाली अमावस्या की वो रात,
लाल चुनरिया से झाँक रहा धरा को चंदा आज।
पर्यावरण संरक्षण के रूप में,
मनावें धार्मिक पर्व के साथ।
वेद शास्त्रों में लिखा ,
पीपल में शिव, विष्णु का वास,
आँवला वृक्ष में भी,
लक्ष्मी नारायण हैं साथ।
शुभ महूर्त को देखकर,
वृक्षों को रोपो आज।
नीम,आंवला,वट, तुलसी में,
पाया ईश्वरीय रूप का वास।
गंगा स्नान कर ,
करें पूजन अर्चन के साथ,
इस दिन पितर शांति के लिए,
पिण्डदान है खास।
देशभक्ति के गीतों से,
होता दुश्मन पर वार,
बसुंधरा प्रफुलित हो उठी,
हरियाली अमावस्या के साथ।
शिव की विधिवत आराधना करें,
दूध, बेल पत्र के साथ।
कावड़ियों का चाहूँ ओर शोर नगाड़े,
बमभोले और डमरू के साथ।
स्वरचित व मौलिक✍️
मानसी मित्तल
शिकारपुर
जिला बुलंदशहर
उत्तर प्रदेश